मॉनिटर का इतिहास
Computing के शुरुआती दिनों में हमारे पास Monitor नाम की कोई भी output device नही थी. तब paper का use करके computer से communicate किया जाता था. Punch card machines का उपयोग करके cards पर instructions type किये जाते है, जिससे computer उन्हें read कर पाता था. यानी जो भी output होता था वो हमें paper में print होकर मिलता था.
1922 में CRT technology का use करके first computer Monitor बनाया गया. इस technology को Television screen बनाने में भी उपयोग किया गया था. हालांकि ये आकार में काफी बड़े और भारी होते थे. इसके बाद लगभग 2000 में LCD technology का उपयोग किया जाने लगा. आजकल अधिकांश display इसी technology का use कर रही है. इसके अलावा अभी एक नई प्रकार की डिस्प्ले तकनीक OLED भी बाजार में मौजूद है.
मॉनिटर की खोज किसने की
Monitor की खोज एक German scientist (Karl Ferdinand Braun) ने सन 1897 में की. उन्होंने एक fluorescent screen के साथ एक CRT monitor पेश किया जिसे cathode ray oscilloscope के रूप में जाना जाता है.
Computer Monitor के कार्य और उपयोग
एक computer monitor का कार्य graphics adapter द्वारा generate की गई graphical information और video को screen पर display करना है. आसान भाषा मे आपके द्वारा जो भी input कंप्यूटर को दिया जाता है, ये उसका परिणाम screen पर print कर देता है. ताकि user computer के साथ interact कर पाए. आमतौर पर हम Input device के रूप में Keyboard का use करते है.
एक image या कोई भी ग्राफिक्स जैसे text एक computer screen में show होने से पहले video card या Graphic card में process की जाती है. जिसके बाद वह monitor को दिया जाता है और आप अपनी स्क्रीन पर उस चित्र को देख पाते है. तो एक video monitor का use सभी तरह की graphical information को show करने के लिए किया जाता है. ताकि आप जो भी कर रहे है उसे देख पाए.
मॉनिटर के प्रकार – Types of Monitor in Hindi
कुछ विभिन्न प्रकार के मॉनिटर निम्नलिखित है:
CRT Monitor: सबसे पहले उपयोग होने वाले video display में CRT (cathode ray tube) का नाम आता है. ये picture को Black & White में दिखाते थे. इन monitor के साथ एक fluorescent screen पर image को बनाने के लिए high energy electrons की एक stream अर्थात धारा का use किया जाता था. ये cathod ray tube बिल्कुल vacuum tube की तरह होती है, जिसके एक side में electron gun और दूसरे side में एक fluorescent screen लगी होती है. आज के समय मे ये rarely available होते है परन्तु पहले सबसे अधिक इनका ही उपयोग किया जाता था.
LCD Monitor: आजकल की display technology में LCD यानी liquid crystal display का इस्तेमाल सबसे अधिक होता है. इन monitor को liquid और solid matter के combination से बनाया जाता है. एक image को screen पर produce करने के लिये LCD एक liquid crystal को उपयोग में लेती है. देखने मे LCD बहुत thin और light होती है. यही वह तकनीक थी जिसने Cathode ray tube को replace किया था. आमतौर पर इन screens में color या monochrome pixels की एक layer होती है, जो transparent electrodes के एक जोड़े और दो polarizing filters के बीच व्यवस्थित होती है.
LED Monitor: ये आज की सबसे नई तकनीक है या इसे हम LCDs monitor का upgrade version भी कह सकते है. दिखने में ये एक flat-panel और थोड़ा सा slightly curved display होती है. इनमे back-lighting के लिए light-emitting diodes का उपयोग किया जाता है. LED और LCD के बीच सिर्फ backlighting का difference होता है. इनका एक benefit ये है, कि LED Monitor एक high contrast वाली images produce करते है. दूसरे monitor की तुलना में अधिक टिकाऊ होते है और साथ कि low heat पैदा करते है.
Plasma Monitor: ये एक flat panel display है, जो image create करने के लिए charged gases के small cells को use में लेते है. ये plasma cells खुद की अपनी illumination अर्थात रोशनी बनाते है, जिससे separate backlighting की आवश्यकता नही होती है. plasma monitor एक LCD monitor के compare में heavy होता है. ये image की brightness और contrast को बेहतरीन तरीके से balance कर पाता है. यही इसका सबसे बड़ा benefit भी है. आमतौर पर इनका use large TV displays के रूप में होता है. ये लगभग 30 inches या इससे अधिक size की होती है.
OLED Monitor: OLED का मतलब है organic light-emitting diode. ये एक high display technology है. जिसकी picture quality काफी better होती है. ये LCD और plasma display की तुलना में different screen technology का use करता है. इसमे colors create करने के लिए carbon और अन्य ingredients जैसे organic compounds का इस्तेमाल होता है. अब क्योंकि इसे backlighting की requirement नही होती है. इसीलिये OLED को emissive technology माना जाता है. हालांकि ये अभी तक बाजार में उतनी आम नही है.
Touchscreen Monitor: इस प्रकार के monitor ऐसे ही काम करते है जैसे एक digital smartphone करता है. यानी कि इसके features को use करने के लिए बस आपको screen में touch करना होता है. आज के समय industry devices में इनकी popularity तेजी से बढ़ रही है. ATMs में भी इसी प्रकार के monitor का उपयोग होता है. अब जैसे ही modern technology की मांग बढ़ती जा रही laptop और PC में भी touchscreen display technology को बढ़ावा मिल रहा है.
मॉनिटर कैसे काम करता है – How Monitor Works
हम सभी अपनी computer screen के आगे बहुत अधिक समय बिताते है. परंतु क्या आप जानते है, कि ये पिक्चर्स को आपके लिए कैसे प्रस्तुत करता है. आइये एक video display की कार्यप्रणाली को समझने की कोशिश करते है. तो चलिए बुनयादी चीज से शुरू करते है. Monitor पर दिखाई देने वाली pictures आपके computer में graphics card से आती है. एक ग्राफिक्स कार्ड का काम monitor तक picture को render करना है.
इसके लिए एक cable के माध्यम से graphics card और computer screen को आपस मे connect किया जाता है. परन्तु एक picture को screen पर produce करने के लिए हर monitor एक different display technology का इस्तेमाल करता है. उदहारण के लिये old-style cathode-ray tub (CRT) में तीन electron gun का use करके screen पर picture produce की जाती थी.
इसके विपरीत flat screen LCD और plasma screen अलग तरह से काम करते है. इनमे picture को दिखाने के लिए लाखों tiny blocks को उपयोग में लिए जाता है. जिन्हें हम pixels कहते है. ये सभी pixels तीन colors के होते है Red, Blue, और Green. एक screen पर picture को create करने के लिए ये colors तेजी से on or off होते है. LCD monitor में इन pixels को electronically move किया जाता है.
LCD monitor में polarized light को rotate करते हुए liquid crystal को उपयोग में लिया जाता है. जिससे ये pixels electronically चालू या बंद होते है. Plasma screen में हर tiny pixel एक fluorescent lamp है, जो अपने आप switched होते रहता है. तो इस तरह आप अपने कंप्यूटर स्क्रीन पर इमेज या किसी भी ग्राफिक्स को देख पाते है.
एक अच्छा मॉनिटर कैसे चुने – Choose a Good Monitor
एक better monitor को choose करने के लिए सबसे पहले आपको ये देखना होगा कि आपके computer use करने का reason क्या है. यानी कि आप कंप्यूटर किस लिये उपयोग करते है. नीचे कुछ विभिन्न प्रकार के Monitor है. जिन्हें आप अपनी जरुरत के हिसाब से चुन सकते है.
General Use के लिए
अगर आप Home या office work के लिए computer का use करते है, तो आप एक general use monitor ले सकते है. अब क्योंकि आप अपने computer का इस्तेमाल browsing करने या कुछ basic computer program को run करने लिए कर रहे है. तो इस तरह के operation में high graphics processing की आवश्यकता नही होती है. low price के सभी monitor इसी category में आते है.
Professionals के लिए
यदि आप graphic design या video editing के field में है, तो आपको एक अच्छे monitor की तलाश करनी चाहिये. क्योंकि यदि आप एक सस्ती डिस्प्ले का उपयोग करेंगे तो ये आपके काम को खराब कर सकता है. इसलिए आपको एक ऐसी स्क्रीन की आवश्यकता है, जो आपकी जरूरत को पूरा कर सके.
Gamers के लिए
एक gamer के लिए दो चीजें सबसे महत्वपूर्ण होती है. जिसमे graphics card और Monitor शामिल है. High graphics वाले games को खेलने के लिए आपके monitor का refresh rate और response time better होना चाहिए. यदि आपके computer की जरूरत एक gamers की है, तो आपको इस हिसाब से अपने Monitor का चयन करना चाहिए.
Television और Monitor में अंतर
अक्सर लोग HDTV को एक computer screen के रूप में use करते है. लेकिन ये दोनों ही device एक-दूसरे से काफी अलग है. दिखने में भले ही ये एक जैसी लगे परन्तु features और size के मामले में इनके बीच बड़ा difference है. नीचे कुछ बिंदुओं को पढ़कर आप इनके बीच के अंतर को समझ जायेंगे.
- सबसे बड़ा अंतर size का है, जहां TVs एक large size में आते है. वही monitor smaller size में available होते है.
- TV में USB, VGA, HDMI सहित कई तरह के Ports शामिल होते है. जबकि Monitor में इससे कुछ कम Ports होते है.
- TV के comparison में इसके price low होते है.
- ये दोनों ही high-resolution image को produce करते है.
- Monitor का response time milliseconds में होता है. जो TV की तुलना में काफी अच्छा है. खास कर gaming perpose के लिए ये काफी मायने रखता है.
- Computer monitor में tuner व inbuilt speaker नही होते है, जबकि TV में ये सुविधा है.
- इनका refresh rate एक TV की तुलना में अच्छा होता है.
- Clour accuracy के मामले में भी TV काफी हद तक पीछे है.
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